उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन पर ए. आर. रहमान ने अफसोस जताया और बताया कि दोनों एक साथ एक एल्बम बनाने की योजना बना रहे थे, जो अब अधूरी रह गई। रहमान ने कहा कि जाकिर हुसैन की शख्सियत और योगदान संगीत जगत के लिए अपूरणीय हैं।
17 Dec, 2024 02:10 PMबाॅलीवुड तड़का : फेमस तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन की खबर ने पूरे संगीत जगत को गहरे शोक में डुबो दिया है। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ पूरी दुनिया में तबला को एक नई पहचान दिलाई। इस दुखद समय में, संगीतकार ए. आर. रहमान ने सोशल मीडिया पर उस्ताद जाकिर हुसैन के साथ अपनी कुछ यादें शेयर की और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके साथ ही, ए. आर. रहमान ने इस बात का अफसोस भी जताया कि वे दोनों साथ मिलकर एक एल्बम नहीं बना पाए।
ए. आर. रहमान ने जाकिर हुसैन को याद किया
सोमवार को ए. आर. रहमान ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर उस्ताद जाकिर हुसैन के साथ बिताए गए समय की कुछ तस्वीरें शेयर कीं। इन तस्वीरों के साथ उन्होंने फूलों और प्रार्थना के इमोजी भी पोस्ट किए, जो इस बात का संकेत था कि उस्ताद के निधन से उन्हें गहरा सदमा लगा है। ए. आर. रहमान ने लिखा, 'इन्ना लिलाही वा इन्ना इलाही राजिऊन। जाकिर भाई एक प्रेरणा स्रोत थे, उनकी शख्सियत इतनी बड़ी थी कि उन्होंने तबला को पूरी दुनिया में पहचान दिलाई। उनका जाना हमारे लिए एक अपूरणीय क्षति है।'
रहमान का पछतावा
रहमान ने यह भी कहा कि वे दोनों मिलकर एक एल्बम बनाने की योजना बना रहे थे, लेकिन यह सपना अब अधूरा रह गया। उन्होंने लिखा, 'मुझे अफसोस है कि हम जितना काम कर सकते थे, उतना साथ में नहीं कर पाए। हम दोनों ने मिलकर एक एल्बम बनाने का प्लान किया था, लेकिन अब वह सपना पूरा नहीं हो सका। आप हमेशा याद आएंगे। भगवान से प्रार्थना है कि उनके परिवार और उनके लाखों फैंस को इस दुख को सहन करने की शक्ति मिले।'
उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन
उस्ताद जाकिर हुसैन की बीमारी के बारे में बताया गया कि वह इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस नामक गंभीर फेफड़े की बीमारी से पीड़ित थे। 73 साल की उम्र में उन्होंने सोमवार को सैन फ्रांसिस्को में अंतिम सांस ली। उनके निधन की पुष्टि उनके परिवार के प्रवक्ता ने की।
प्रधानमंत्री मोदी ने जताई संवेदना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा, 'उस्ताद जाकिर हुसैन जी का निधन हमें गहरे शोक में डाल गया। वे भारतीय शास्त्रीय संगीत के महान प्रतीक थे और उन्होंने दुनियाभर में तबला को एक नई पहचान दिलाई। उनका योगदान अतुलनीय है और उनकी यादें हमेशा संगीत प्रेमियों के दिलों में जीवित रहेंगी।'