बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी को पिछले हफ्ते प्रयागराज में महाकुंभ के समय औपचारिक तौर पर किन्नर अखाड़े में शामिल किया गया था और उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि के साथ नया नाम ममता नंदगिरि दिया गया। हालांकि, एक्ट्रेस की नियुक्ति पर अजय दास ने आपत्ति जताई और उनसे महामंडलेश्वर की उपाधि छीन ली गई। वहीं, अ
02 Feb, 2025 10:22 AMमुंबई. बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी को पिछले हफ्ते प्रयागराज में महाकुंभ के समय औपचारिक तौर पर किन्नर अखाड़े में शामिल किया गया था और उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि के साथ नया नाम ममता नंदगिरि दिया गया। हालांकि, एक्ट्रेस की नियुक्ति पर अजय दास ने आपत्ति जताई और उनसे महामंडलेश्वर की उपाधि छीन ली गई। वहीं, अब लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने अजय दास पर पर हमला किया है और ममता को किन्नर अखाड़े से निष्कासित किए जाने पर सवाल उठाए हैं।
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि किन्नर अखाड़े के भीतर सभी बड़े फैसले पूरे खुलेपन के साथ किए गए। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि अजय दास को पहले ही संगठन से बाहर कर दिया गया था। वे (अजय दास) अपने परिवार और बच्चों के साथ रहते हैं। ऐसी जीवनशैली किन्नर अखाड़े के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है, इसलिए अब उनका अखाड़े में कोई स्थान नहीं है।'
वहीं, कथावाचक जगतगुरु हिमांगी सखी मां ने किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर के पद पर ममता कुलकर्णी को नियुक्ति किए जाने का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि अखाड़े की शुरुआत किन्नर समुदाय के लिए हुई थी, ऐसे में ममता की नियुक्ति अखाड़े के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
हिमांगी ने ममता कुलकर्णी के विवादित अतीत पर सवाल उठाते हुए अंडरवर्ल्ड से उनके कथित संबंध और ड्रग्स केस का भी जिक्र किया और कहा, 'ममता कुलकर्णी के इतिहास के बारे में पूरी दुनिया जानती है। उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान हासिल किए बिना 'दीक्षा' दी गई और महामंडलेश्वर बना दिया गया। आप समाज के सामने किस तरह का गुरु प्रस्तुत कर रहे हैं?'
वहीं, ममता कुलकर्णी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि उन्होंने साल 2000 में ध्यान की प्रैक्टिस शुरू की थी। उन्होंने दैवीय संकेत का हवाला देते हुए लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को अपने आध्यात्मिक गुरु के रूप में चुनने के फैसले के बारे में बताया। उन्होंने कहा, 'मैं महामंडलेश्वर के रूप में नियुक्त होने की तैयारी कर रही थी। फिर मां शक्ति ने मुझे लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को चुनने का निर्देश दिया, क्योंकि वे अर्धनारीश्वर के दिव्य रूप का प्रतीक हैं। ऐसी शख्सियत से मुझे पदवी मिलने से बड़ा कोई सम्मान नहीं है।'