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रणदीप हुड्डा ने की बाघों के जनसंख्या नियंत्रण प्रस्ताव की निंदा, पुनर्विचार करने के लिए की अपील

Updated 30 January, 2025 01:27:44 PM

मशहूर अभिनेता और वन्यजीव फोटोग्राफर रणदीप हुड्डा ने बाघों की जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए मादा बाघों पर जन्म नियंत्रण उपाय लागू करने की संभावनाओं को लेकर गंभीर चिंता जताई है।

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। मशहूर अभिनेता और वन्यजीव फोटोग्राफर रणदीप हुड्डा ने बाघों की जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए मादा बाघों पर जन्म नियंत्रण उपाय लागू करने की संभावनाओं को लेकर गंभीर चिंता जताई है। वन्यजीव संरक्षण और पशु अधिकारों के मुखर समर्थक रनदीप ने इस प्रस्ताव की कड़ी निंदा की और इसे "बेतुका और खतरनाक विचार" बताया।  

बाघ, जो पहले से ही लुप्तप्राय प्रजातियों में शामिल हैं और अनुसूची 1 (Schedule 1) के तहत संरक्षित हैं, उनकी घटती संख्या को बढ़ाने के लिए दशकों से संरक्षण प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसे में उनकी आबादी को सीमित करने का यह प्रस्ताव वन्यजीव कार्यकर्ताओं और संरक्षणवादियों के बीच भारी विरोध का कारण बन गया है। रणदीप भी इस मुद्दे पर अपनी मुखर राय रखते हुए इस प्रस्ताव के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं।  

रणदीप हुड्डा ने कहा, "जिस जनसंख्या को नियंत्रित करने की जरूरत है, वह इंसानों की है, न कि बाघों की। पहले से ही अस्तित्व के संकट से जूझ रही एक प्रजाति की जन्म दर को सीमित करने का विचार ही बेतुका है। बाघ सिर्फ हमारे वन्यजीव धरोहर का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए भी बेहद जरूरी हैं। उनके प्राकृतिक प्रजनन में हस्तक्षेप करना पूरी तरह से गलत दिशा में उठाया गया कदम होगा।"  

उन्होंने आगे कहा, "हम एक लुप्तप्राय प्रजाति की जनसंख्या कम करने पर ध्यान देने के बजाय, उन्हें सुरक्षित वातावरण देने के उपायों पर काम क्यों नहीं कर रहे? अवैध शिकार, जंगलों का अतिक्रमण और उनके प्राकृतिक आवासों का विनाश असली समस्याएं हैं, जिन पर तत्काल कार्रवाई की जरूरत है, न कि उनकी संख्या को सीमित करने की। यह विचार संरक्षण प्रयासों की मूल भावना के खिलाफ है।"

रणदीप, जो हमेशा पर्यावरण और वन्यजीवों के अधिकारों को लेकर मुखर रहे हैं, उन्होंने प्रशासन से इस गलत और अव्यवहारिक प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने की अपील की। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि वन्यजीव संरक्षण के लिए ऐसे उपाय अपनाए जाने चाहिए जो संरक्षण और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दें, न कि प्राकृतिक प्रक्रियाओं में अनावश्यक हस्तक्षेप करें।

Content Editor: Jyotsna Rawat

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